अल्ट्राटेक सीमेंट के इंडिया सीमेंट्स अधिग्रहण से उद्योग का चेहरा बदलने की संभावना
भारतीय सीमेंट उद्योग में हलचल मच गई है, क्योंकि अल्ट्राटेक सीमेंट ने दिग्गज सीमेंट निर्माता इंडिया सीमेंट्स में 23% हिस्सेदारी हासिल कर ली है। इस अधिग्रहण के उद्योग की प्रतिस्पर्धा और प्रमुख खिलाड़ियों पर महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं।
हासिल की गई हिस्सेदारी और सौदा विवरण:
अल्ट्राटेक ने राधाकृष्ण दमानी और उनके सहयोगियों से इंडिया सीमेंट में 7.06 करोड़ शेयर खरीदे हैं। यह अधिग्रहण गैर-नियंत्रित वित्तीय निवेश के रूप में किया गया है, जिसका अर्थ है कि अल्ट्राटेक का इंडिया सीमेंट्स के बोर्ड में कोई प्रतिनिधि नहीं होगा।
वित्तीय विवरण के अनुसार, अल्ट्राटेक ने ब्लॉक डील के माध्यम से 267 रुपये प्रति शेयर की दर से इंडिया सीमेंट्स के 6 करोड़ से अधिक शेयर खरीदे हैं, जो कुल इक्विटी का 19.44% है। शेष 3.4% इक्विटी शेयरों को 285 रुपये प्रति शेयर की दर से खरीदा जाएगा। इस सौदे की कुल लागत लगभग 1,885 करोड़ रुपये है।
उद्योग पर प्रभाव:
अल्ट्राटेक का यह अधिग्रहण दक्षिण भारत में अपनी सीमेंट बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है, जहां कंपनी की वर्तमान में 11% बाजार हिस्सेदारी है। इस अधिग्रहण से देश की सीमेंट उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है, जिसमें अडाणी समूह का अंबुजा सीमेंट और एसीसी का हालिया अधिग्रहण भी शामिल है।
यह अधिग्रहण दक्षिण भारत के सीमेंट बाजार को समेकित करने की दिशा में एक कदम है, जहां अल्ट्राटेक और अडाणी समूह प्रमुख खिलाड़ी बन रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं के लिए कीमतों और उत्पाद की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ सकता है।
कंपनियों की पृष्ठभूमि:
अल्ट्राटेक सीमेंट भारत की सबसे बड़ी सीमेंट निर्माता कंपनी है, जिसकी अखिल भारतीय क्षमता बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 24 में लगभग 23% है। कंपनी एडिट्य बिरला समूह का एक हिस्सा है और देश भर में 12 एकीकृत सीमेंट संयंत्रों और 14 ग्राइंडिंग यूनिटों का संचालन करती है।
इंडिया सीमेंट्स दक्षिण भारत की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी है, जिसकी समेकित क्षमता 15.5 मिलियन टन है। कंपनी का मुख्यालय चेन्नई में है और इसका कारोबार पूर्वी और दक्षिणी भारत के अधिकांश हिस्सों में फैला हुआ है।
निष्कर्ष:
अल्ट्राटेक सीमेंट द्वारा इंडिया सीमेंट्स का अधिग्रहण सीमेंट उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। इस अधिग्रहण से प्रतिस्पर्धा बढ़ने, बाजार समेकन और उद्योग के परिदृश्य में बदलाव की संभावना है। यह देखना बाकी है कि इस सौदे का उपभोक्ताओं, शेयरधारकों और उद्योग के अन्य हितधारकों पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा।